Wednesday, October 20, 2010

कॉर्बेट नेशनल पार्क (Corbett National Park)



कॉर्बेट नेशनल पार्क केवल प्रकृति से सम्बद्ध नही है, न ही ये केवल वन्य - जीवन के बारे में है। अपितु यह तो हमारी सम्पन्न प्राकृतिक विरासत तथा इसके इतिहास का एक जीवंत हिस्सा है।कॉर्बेट नेशनल पार्क में 'वन एवं वन्य जीव संरक्षण' एक परम्परा के रूप में लंबे समय से विद्यमान है।'कॉर्बेट नेशनल पार्क' एशिया तथा भारत का पहला 'बाघ संरक्षित क्षेत्र' तथा 'राष्ट्रीय पार्क' है, यह तथ्य ही स्पष्ट रूप से यह प्रमाणित करता है की हमारी 'प्राकृतिक विरासत' के संरक्षण के प्रयास में 'कॉर्बेट' सर्वोच्च स्थान पर है। 
 
News for Corbett National Park India (कॉर्बेट नेशनल पार्क के समाचार)
Date: 17 October 2013, 
बिजरानी जोन में भ्रमण हेतु जाने वाले पर्यटकों को हो सकती है परेशानी : कॉर्बेट टाइगर रिजर्व  (corbett tiger reserve) कॉर्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जोन के खुलते ही पर्यटकों तथा पर्यटन व्यवसाइयों के लिए नयी आफत खड़ी हो गयी है। पिछले दो सप्ताह से अपनी मांगो को लेकर आंदोलनरत राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद्  ने आज दोपहर की पली में कॉर्बेट का बिजरानी जोन बंद करा दिया।  गेट पर टला जड़ने के बाद कर्मचारियों ने गेट पर ही धरना दिया।
इधर बिजरानी गेट बंद होने से पर्यटक खासे नाराज हो गए और राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैठ के नारेबाजी करने लगे। इससे नेशनल हाई वे पर जाम की स्थिति हो गयी। SDM तथा CO के समझाने के बाद पर्यटक निराश हो कर वापस चले गए।
इस सारे घटनाक्रम से पर्यटन कारोबारी, जिप्सी चालक, नेचर गाइड आदि खासे नाराज दिखे तथा इस तरह की तालाबंदी को अपने रोजगार को खतरा बताया।
कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के उपनिदेशक 'साकेत बडोला' ने पर्यटकों को सलाह दी है की पर्यटक घूमने आने से पहले किसी स्थानीय परिचित से पूरी जानकारी ले लें।
कॉर्बेट नेशनल पार्क संबंधी किसी भी जानकारी के लिए आप 9837092025 या 94111 54777 पर संपर्क कर सकते हैं।        

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत : Jim Corbett National Park India 

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (Jim Corbett National Park), हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है। कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत (Corbett National Park India) का सबसे पहला राष्ट्रीय उद्यान है। इसका हैडक्वाटर उत्तराखंड राज्य के नैनीताल (Nainital) जिले के रामनगर (Ramnagar) नामक छोटे से कस्बे में स्थित है। स्वछन्द विचरण करने वाले बाघों (Tiger) के मामले में कॉर्बेट नेशनल पार्क का सम्पूर्ण विश्व में दूसरा स्थान है। इसी वजह से कॉर्बेट नेशनल पार्क ने इस अद्भुत, भव्य तथा लुप्तप्राय प्रजाति के संरक्षण की उम्मीद को मजबूती से बरक़रार रखा हुआ है।
courtesy : Mr. Siddharth Singh (Tiger Man)
Frequent visitor of Corbett National Park India from Lucknow (Capital of Uttar Pradesh)
कॉर्बेट नेशनल पार्क 600 से अधिक एशियन हाथियों (Asian Elephants) का भी निवास स्थान है, जिनको पूरे इत्मिनान से विशाल झुंडों में देखा जा सकता है।
Courtesy : Mr.Khem Ch. Pandey (Naturalist - Corbett National Park India)
कॉर्बेट नेशनल पार्क(Corbett National Park) तथा राजाजी नेशनल पार्क (Rajaji National Park) की सीमाएं मिली हुई हैं तथा दोनों नेशनल पार्क मिलकर भारतीय उप महाद्वीप (Indian Sub-continent) के उस सबसे बड़े क्षेत्र का प्रतिनिधित्व जहाँ बाघ तथा हाथी स्वतंत्रता से विचरण करते हैं।
courtesy : Mr.Bhrigu Kumar Phukon  
(a wildlife photographer, a blogger & works as a Tech Head at a leading IT Company)
Mr.Bhrigu  is frequent visitor of Corbett National Park and is based out of Delhi.

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क 600 से भी अधिक प्रजातियों की स्थानीय तथा विदेशी प्रवासी पक्षियों (Birds) का भी घर है। प्राकर्तिक पर्यावरण से संपन्न क्षेत्र सारे संसार की कुल पक्षी प्रजाति की 6 प्रतिशत (6%) आबादी का प्रतिनिधित्व करता है जो की पूरे यूरोप (Europe) की पक्षी विविधता से भी अधिक है। कॉर्बेट नेशनल पार्क में पाए जाने वाले 49 प्रजाति के शिकारी पक्षी इस पक्षी विविधता के प्रमुख तत्व हैं तथा सर्दियों में यह विवधता अपने शीर्ष पर होती है।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का इतिहास (History of Jim Corbett National Park)
Map - Corbett National Park India
Map - Corbett Tiger Reserve India
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, भारत का पहला नेशनल पार्क है जिसकी स्थापना 1936 में की गई। स्थापना के समय इसका नाम संयक्त प्रान्तों के राज्यपाल 'सर हैली' के नाम पर 'हैली नेशनल पार्क' रखा गया। भारत (India) की स्वंत्रता के बाद 1952 में कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम 'हैली नेशनल पार्क' से बदलकर 'रामगंगा नेशनल पार्क' रख दिया गया। अंततः 1957 में प्रसिद्ध शिकारी तथा पर्यावरणविद 'एडवर्ड जिम जेम्स कॉर्बेट' (जो की बाद में लेखक बन गए थे), के नाम पर 'कॉर्बेट नेशनल पार्क' रखा गया जो की वर्तमान में प्रचलित है। 'एडवर्ड जिम जेम्स कॉर्बेट' ने पार्क की स्थापना तथा सीमा निर्दारण में मदद की थी।

एडवर्ड जिम जेम्स कॉर्बेट का जीवन परिचय (Edward Jim James Corbett)
Edward Jim James Corbett (एडवर्ड जिम जेम्स कॉर्बेट)
Corbett National Park India
'एडवर्ड जिम जेम्स कॉर्बेट' का जन्म एक आयरिश परिवार में हिमालय की तलहटी में स्थित संयुक्त प्रान्त (अब भारत का उत्तराखंड राज्य) के कुमायूं क्षेत्र में नैनीताल कस्बे में हुआ था। जिम का पालन पोषण 'क्रिस्टोफर' तथा 'मेरी कॉर्बेट' के 13 बच्चों के बड़े परिवार में हुआ और जिम उनके आठवें पुत्र थे। उनके माता-पिता 1862 में 'नैनीताल' आ गए थे जब 'क्रिस्टोफर कॉर्बेट' की नैनीताल के पोस्टमास्टर पद पर नियुक्ति हुई। सर्दियों के मौसम में, ठण्ड से बचाव के लिए पूरा परिवार रहने के लिए तलहटी में 'कालाढूंगी' कस्बे के पास 'छोटा हल्द्वानी' नामक गाँव में चले जाते थे। जब 'जिम' चार वर्ष के थे उनके पिता की मृत्यु हो गयी। बचपन से ही अपने घर के आस पास के जंगलों और वन्यजीवन पर सम्मोहित थे। जंगलों में लगातार भ्रमण करते हुए युवा 'जिम' अधिकांश पशु-पक्षियों को उनकी आवाज(कॉल) से पहचान लेते थे। समय के साथ 'जिम' एक अच्छे खोजी और शिकारी बन चुके थे। जिम ने शुरुआती पढाई 'ओक ओपनिंग स्कूल' तथा बाद में 'सेंट जोसेफ कॉलेज' नैनीताल में की। जिम ने अपने कैरियर की शुरुआत रेलवे में नौकरी से की तथा बाद में भारतीय ब्रिटिश सेना में कर्नल रैंक तक कार्य किया। भारतीय ब्रिटिश सेना के आग्रह पर जिम कॉर्बेट ने संयुक्त प्रान्त (वर्तमान में उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड) में अनेकों नरभक्षी बाघों (Tiger) और तेंदुओं (leopard) के आतंक से यहाँ के निवासियों को मुक्ति दिलाई तथा इस क्षेत्र में अत्यधिक ख्याति अर्जित की।
Edward Jim James Corbett with 'Man Eater of Rudraprayag' एडवर्ड जिम जेम्स कॉर्बेट 'रुद्रप्रयाग के नरभक्षी' के साथ            Corbett National Park India
1907 से 1938 के बीच 'जिम कॉर्बेट' ने 19 नरभक्षी बाघों (Man eater Tigers) तथा 14 नरभक्षी तेंदुओं (Man eater Leopard) का शिकार किया। ये नरभक्षी लगभग 1200 से अधिक बच्चों, महिलाओ तथा पुरुषों को मार चुके थे। 'जिम कॉर्बेट' द्वारा मारा गया पहला नरभक्षी बाघ 'चम्पावत का बाघ' था जो की 436 दर्ज मौतों का जिम्मेदार था। उनके द्वारा शिकार किये गए प्रसिद्द नरभक्षियों में 'पनार तेंदुआ, तल्ला-देश का नरभक्षी, मोहान का नरभक्षी, ठाक का नरभक्षी, चौघड की मादा नरभक्षी आदि प्रमुख हैं। हालाँकि इनमें सबसे प्रसिद्द 'रुद्रप्रयाग का नरभक्षी तेंदुआ' था जो की दस से अधि सालों से केदारनाथ तथा बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए आतंक का पर्याय था। 'जिम' का मानना था की अधिकांश बाघों तथा तेंदुओं के नरभक्षी होने के दो कारण थे। पहला की वो शिकार के दौरान घायल होने से जंगली जानवरों के शिकार में असमर्थ थे तथा दूसरा यह की उस समय ब्रिटिश शासन के दौरान 'बाघ का शिकार' एक फैशनेबल खेल बन गया था और उस खेल बचे परन्तु घायल हो चुके बाघ, शिकार करने में असमर्थ होने के कारण नरभक्षी हो गए थे। 'जिम' के अपने खाते में कम से कम एक गलत जानवर को (जो नरभक्षी नहीं था) मरने का जिक्र है जिसका उनको सदैव बेहद अफ़सोस रहा। १९२० में 'जिम' ने अपना पहला कैमरा खरीदा और वन्यजीवों को सिने फिल्म में रिकॉर्ड करना शुरू किया। यद्यपि 'जिम' को जंगल का अन्तरंग ज्ञान था परन्तु वन्यजीवों के अत्यधिक शर्मीले स्वभाव के कारण अच्छी तस्वीरों की मांग बनी रहती थी। जैसे जैसे उनका प्रेम बाघों के प्रति बढ़ा, उन्होंने उनको गोली नहीं मारने का संकल्प लिया जब थक की वो नरभक्षी न हो। पवाल्गढ़ के युवा तेंदुएं को मारने का उनको बेहद अफ़सोस रहा जिसके लिए वे हमेशा खेद व्यक्त करते रहे।
'जिम' बाघों के निवास और संरक्षण के विषय में अत्यंत गंभीर थे। वे स्कूली बच्चों के समूहों को 'प्राकर्तिक विरासत' के बारे में बताते और बताते की क्यों हमारे जंगलों और वन्यजीवों को संरक्षित करने की जरूत है। उन्होंने 'ऍफ़.डब्ल्यू।चैम्पियन के साथ मिलकर भारत (इंडिया) के प्रथम नेशनल पार्क की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसका नाम 'लोर्ड मेल्कॉम हैली' के नाम पर 'हैली नेशनल पार्क' रखा गया। 1957 में 'जिम' के सम्मान में इसका नाम 'कॉर्बेट नेशनल पार्क' रख दिया गया। 1947 के बाद 'जिम' और उनकी बहन 'मैगी' केन्या देश में 'न्येरी' नमक जगह चले गए। वहां पर भी उन्होंने लिखने का कार्य जारी रखा। अपनी छठी पुस्तक 'ट्री टॉप' के लेखन की समाप्ति के पश्चात 'जिम' की 'दिल के दौरे' से मृत्यु हो गयी और उनको 'न्येरी' के 'सैंट पीटर्स अंग्लिसं चर्च' में दफनाया गया।  

Jim's Legacy (जिम की विरासत)
छोटी हल्द्वानी, कालाढूंगी में जिम का जो घर था उसे एक संग्रहालय के रूप में संजों कर रखा गया है। जिम का २२१ एकेर के फार्म (गाँव) (जो उन्होंने १९१५ में खरीदा था) में स्थित चौपाल (गाँव वालों के मिलने की जगह), मोती का घर (जो जिम कॉर्बेट ने अपने दोस्त 'मोती सिंह' के लिए बनवाया था) और कॉर्बेट दीवार (corbett wall - 7.5 किलो मीटर लम्बी दीवार है जिसे ग्रामीणों की फसल की जंगली जानवरों से हिफाजत के लिए बनाया गया था) आज भी वैसे ही है और बरबस ही "जिम कॉर्बेट" की याद दिला जाती हैं।


आपको ये लेख कैसा लगा कृपया अपनी राय से अवगत जरूर कराएँ तथा अगर आप कॉर्बेट नेशनल पार्क के भ्रमणपर आना चाहते हैं तथा कुछ जानकारी चाहते हों तो मुझे संपर्क कर सकते हैं , एक स्थानीय युवक होने के नाते मुझे आप को जानकारी देने में खुशी होगी।  
कॉर्बेट नेशनल पार्क से आपका साथी  
कौस्तुभ पांडे  
प्रकृतिवादी (Naturalist)
रानीखेत रोड, लखनपुर
कॉर्बेट सिटी रामनगर, 
उत्तराखंड, भारत-२४४७१५
Shaheed Park, Corbett National Park, Corbett City Ramnagar, Uttarakhand, India-244715  

फ़ोन : +91 87250 22280
ई मेल : info@CorbettTigerReserve.com
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3 comments:

Kaustubh said...

The photo you have shown is not 'Man-eater of Rudraprayag'.....Since it was a Leopard and not a Tiger.
The photo shown here is of 'Bachelor of Powalgarh'. And it was not a man-eater.
Regards

-Kaustubh Bendale

Unknown said...

Very nice blog and Thank you very much For Posting Interestinh knowledge And Sharing with us. i am going to corbett national park in May

Winsome Resorts & SPA said...

nice post.
Jim Corbett Resorts Packages | Jim Corbett Safari

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